Monday, September 1, 2014

इन्द्रधनुष

                                 इंद्र्धनुष



इंद्रधनुषी रंगो सा

सतरंगी मन


पूरे दिन

सात रंग बदलता

बन जाता है

इंद्रधनुष सा      

कभी विचलित

कभी सहमा,

कभी निडर 

सा कुछ लम्हा

अपनी सीमाओ के

अंदर,दौडता,भागता,

उछलता मन

थक तो है जाता

पर रहता है हरदम

रंग बदलता....

सीमा श्रीवास्तव

4 comments:

  1. हर रंग की अपनी कहानी..इंद्रधनुष :)

    ReplyDelete
  2. Thanks a lot ..Preeti ji...:)..for your valuable comment

    ReplyDelete
  3. मन के रंग सचमुच इन्द्रधनुषी होते हैं, इतने ज्यादा कि या कभी सतरंगी तो कभी शतरंगी भी हो जाते हैं. रंगों को आकाश से उतार कर मन में भरनेवाली सुन्दर कविता!

    ReplyDelete
  4. सुंदर समीक्षा के लिये बहुत बहुत धन्यवाद मनोज जी...

    ReplyDelete