तलब
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प्रायः हर किसी को
होती है हर सुबह
एक प्याली, चाय
की तलब (,इच्छा)
चाय की तलब तो
नही मुझे ,पर
है कुछ तलब
जो
ज़िंदा रखती
है मुझे
हर सुबह
उठाती है
अपनी तलब
जगाती है
और
हर रात
मीठे सपनों में
डुलाती है
जीवन में
नया रंग
भर जाती है
और ताजगी
लाती है
_सीमा श्रीवास्तव
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