Monday, August 25, 2014

पनाह

अगर भावनाओ को कविता और कहानी का विश्रामस्थल नहीं  मिला होता तो ना जाने ये कहॉ भटकती...??


पनाह देतीं हैं
शब्दो को
कविताये,अपनी
 गोद मे...और
कहानियॉ  समेट
लेती हैं
अपने
आगोश में

सीमा श्रीवास्तव

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