डोली चढ़ने से पहले
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मेरी हर गलती पर
रोने से पहले
तुम
सहला दोगे
मेरी पीठ
मेरी आँखों से
ढलकते आँसू को
रोक लोगे
तुम
अपनी हथेली पर
मेरी हीन भावना को
निकाल दोगे
तुम
हौंसले की बाते करके
मेरे अंदर के
डर को भगा
तुम
भर दोगे अपनी हिम्मत
मेरे सपनो की स्याह
हो चुकी दुनिया को
सजा दोगे
तुम
सुनहले रंगो से
बस ऐसे ही कुछ
सजीले सपने
संजोए रहती होगी एक
मासूम सी लड़की,
डोली चढ़ने से पहले ......
सीमा श्रीवास्तव
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मेरी हर गलती पर
रोने से पहले
तुम
सहला दोगे
मेरी पीठ
मेरी आँखों से
ढलकते आँसू को
रोक लोगे
तुम
अपनी हथेली पर
मेरी हीन भावना को
निकाल दोगे
तुम
हौंसले की बाते करके
मेरे अंदर के
डर को भगा
तुम
भर दोगे अपनी हिम्मत
मेरे सपनो की स्याह
हो चुकी दुनिया को
सजा दोगे
तुम
सुनहले रंगो से
बस ऐसे ही कुछ
सजीले सपने
संजोए रहती होगी एक
मासूम सी लड़की,
डोली चढ़ने से पहले ......
सीमा श्रीवास्तव
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
ReplyDeleteThanks a lot..Sanjay ji..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteThanks a lot Savita ji...:)
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