Seema Kee Lekhanee
Wednesday, August 13, 2014
बादल
खुशियाँ जाने कहाँ
खो जाती है ?
क्या ये भी
चल देती है
बादलो की तरह
कहीं और बरस जाने ?
तो फिर खुश हूँ मैं
इस बात से कि
कहीं तो हो रही है
बारिश खुशियो की
सीमा श्रीवास्तव
1 comment:
संजय भास्कर
August 25, 2014 at 3:24 PM
............. अनुपम भाव संयोजन
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शब्दों की मुस्कराहट पर
….दिन में फैली ख़ामोशी
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